
सुप्रीम कोर्ट।
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चुनावों में धन-बल के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग ने गंभीर चिंता जताई है। आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया चुनाव में होने वाले बेहिसाब खर्च को लेकर वह गंभीर रूप से चिंतित है। आयोग ने कहा कि हालांकि इस पर अंकुश लगाने के लिए उसके पास मजबूत तंत्र मौजूद है। आयोग ने अदालत को यह भी बताया है कि आयोग उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के अत्यधिक चुनाव खर्च को रोकने में काफी हद तक कामयाब भी रहा है।
आयोग ने बताया, इसमें व्यय पर्यवेक्षकों, सहायक व्यय पर्यवेक्षकों, वीडियो निगरानी टीमों, वीडियो देखने वाली टीमों, लेखा टीमों, शिकायत निगरानी और कॉल सेंटर, मीडिया प्रमाणीकरण, निगरानी समिति, उड़न दस्ते और स्थैतिक निगरानी दल की तैनाती होती है। निर्वाचन आयोग ने आईआईटी स्नातक प्रभाकर देशपांडे की जनहित याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने लिखित जवाब में बताया कि धन-बल के दुरुपयोग को रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए हैं। भविष्य में भी ऐसा करना जारी रहेगा। चुनाव व्यय निगरानी तंत्र को प्रभावी ढंग से लागू किया है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की है कि चुनाव में होने वाले अतिरिक्त खर्च को रोकने के लिए कार्रवाई की एक व्यापक योजना तैयार की जाए, जिसमें दोषी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े और प्रभावी प्रावधान हों। उन्होंने अदालत से निर्वाचन आयोग को विश्वसनीयता व लोकतांत्रिक सुधार लाने के लिए चुनाव खर्च की ईमानदारी से जांच करने का निर्देश देने की भी मांग की है।
आयोग ने बताया कि प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव खर्च के लिए एक अलग खाता खोलना होता है और दैनिक खर्च के लिए एक रजिस्टर रखना होता है। राष्ट्रीय व राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च को आयोग और संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड भी किया जाता है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद से करते हैं निगरानी
निर्वाचन आयोग ने बताया कि वह चुनावी खर्च पर निगरानी के लिए सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सेवाएं लेता है। मतदान वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी टीमें भी तैनात करता है। राज्य पुलिस विभाग, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग, आयकर महानिदेशक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, राजस्व खुफिया निदेशालय, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई-भारत, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो, डाक विभाग, रेलवे सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, तटरक्षक बल, असम राइफल्स आदि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सेवाएं ली जाती हैं।
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