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Krishna Puja: बेहद ही जोरों शोरों से आज और कल जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात के समय हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी के दिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इस पावन दिन पर शुभ मुहूर्त में ही पूजा करनी चाहिए। इससे भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा बनी रहती है। वहीं, जन्माष्टमी की पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है। जन्माष्टमी की पूजा में कुछ चीजों को शामिल करना जरूरी होता है, जिसके बिना यह पूजा अधूरी मानी जाती है।
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इस एक चीज के बिना अधूरी है पूजा
जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा में खीरे का विशेष महत्व माना जाता है। जन्माष्टमी की पूजा में डंठल वाले खीरे का उपयोग किया जाता है। कुछ लोग जन्माष्टमी के पावन पर्व पर कान्हा का जन्म भी करते हैं। ऐसे में डंठल वाले खीरे को गर्भनाल की तरह माना जाता है। वहीं, श्री कृष्ण के जन्म के बाद डंठल वाले खीरे को डंठल से उसी तरह अलग कर दिया जाता है जैसे गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चे को नाल से अलग किया जाता है। इसलिए जन्माष्टमी की पूजा में भगवान श्री कृष्ण के पास डंठल वाला खीरा रखना ना भूलें। भगवान के जन्म के बाद खीरे को डंठल से सिक्के की मदद से अलग कर दें।
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पूजा के बाद खीरे का क्या करें?
जन्माष्टमी की पूजा के बाद कटे हुए खीरे को प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें। वहीं, गर्भवती महिलाओं के लिए इस कटे हुए खीरे को प्रसाद में ग्रहण करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की संतान की प्राप्ति के लिए या भगवान श्री कृष्ण की तरह संतान पाने के लिए जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे का प्रसाद रूप में सेवन करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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