
डीआरडीओ
– फोटो : facebook.com/DPIDRDO
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मुंबई आतंकी हमले जैसे हालात में आतंकवादियों के कब्जे वाली जगहों के अंदर से सुरक्षा बलों के लिए लाइव वीडियो हासिल करने का काम अब ‘रैट साइबोर्ग’ के जरिए संभव हो सकेगा। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) तैयार कर रहा है। यह सुरक्षा बलों को खुफिया निगरानी और रिकवरी अभियानों में भी मदद करेगा। रैट साइबोर्ग पर डीआरडीओ की प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्था की युवा वैज्ञानिक प्रयोगशाला की एक टीम काम कर रही है।
ऐसे करता है काम…
हैदराबाद में डीआरडीओ यंग साइंटिस्ट लेबोरेटरी के निदेशक पी शिव प्रसाद ने बताया कि रैट साइबोर्ग मानक प्रयोगशाला में तैयार एक कुतरने वाला जीव है, जिनके मस्तिष्क में वैज्ञानिकों ने एक इलेक्ट्रोड लगाया है, जो बाहर से संकेत प्राप्त कर सकता है। तस्वीरें लेने के लिए इसके सिर पर एक छोटा कैमरा भी लगा होगा।
ताज होटल जैसे तलाशी अभियान में बेहद उपयोगी
शिव प्रसाद ने कहा कि रैट साइबोर्ग की उपयोगिता को 26/11 के मुंबई हमले के संदर्भ में समझा जा सकता है। उस वक्त आतंकियों काे ढूंढने के लिए सुरक्षाबलों को ताज होटल के 200 से अधिक कमरों की तलाशी लेनी पड़ी थी। ऐसे काम के लिए अभी तक रोबोट की मदद भी ली जाती रही है, लेकिन इन्हें दीवारों पर चढ़ने और संकरी जगह की समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं, विभिन्न उपकरणों से लैस रैट साइबोर्ग कहीं भी जा सकता है, दीवार पर चढ़ सकता है और वेश बदलकर दुश्मन से छिप सकता है।
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