केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर भारतीय परंपराओं से नफरत करने का आरोप लगाया। अमित शाह ने यह आरोप कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश के उस ट्वीट को आधार बनाया था, जिसमें उन्होंने सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताने पर सवाल उठाया है। जयराम रमेश के अनुसार इसका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि माऊंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित नेहरू ने सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक कहा था। अमित शाह की इस प्रतिक्रिया कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। उल्टे कांग्रेस के प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो गए। आखिर कब तक प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम पं. नेहरू कोसने और विक्टिम कार्ड को खेलना जारी रखेगी?
संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सधे हुए शब्दों में प्रतिक्रिया देकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। रोहन गुप्ता कहते हैं कि अब भाजपा के प्रवक्ताओं के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है। लेकिन न तो केंद्र सरकार और न ही भाजपा भूल सुधार में यकीन रखती है। इसलिए अब कांग्रेस और विपक्ष से बड़ा दिल दिखाने की अपील कर रही है।
रोहन गुप्ता ने कहा कि अब समय आ गया है, जब सरकार को बताना चाहिए कि उसने किसानों, बेरोजगारों के लिए क्या किया। मणिपुर जल रहा है, चीन लद्दाख में हमारे सिर पर बैठा है। 2000 रुपये के नोट रिजर्व बैंक वापस ले रहा है। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि उन्होंने देश की जनता से किए वादे को कितना पूरा किया। कितना कालाधान वापस लाए। लेकिन अभी भी भाजपा और देश के प्रधानमंत्री विक्टिम कार्ड खेलकर संसद भवन के उद्घाटन के जरिए देश के लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं। राष्ट्रपति का अपमान कर रहे हैं।
कौन जानता था कि सेंगोल राजदंड है?
झारखंड से कांग्रेस के नेता डा. अजोय कुमार हैं। अजोय कुमार सवाल पूछते हुए कहते हैं कि आप जानते थे कि सेंगोल क्या है? कहां रखा है? यह राजदंड है? वह कहते हैं कि भारत लोकतांत्रिक देश है। लोकतांत्रिक मूल्यों पर चल रहा है। अजोय कुमार के मुताबिक दरअसल प्रधानमंत्री का मकसद को सेंगोल का सम्मान करना नहीं है। वह इसकी आड़ में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू के आभामंडल से नहीं ऊबर पा रहे हैं। वह खुद पं. नेहरू से महान बनने की हसरत पाले हुए हैं और 9 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली है। दूसरे देश के प्रधानमंत्री का मकसद सेंगोल के बहाने देश के लोगों का मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाना भर है।
अजोय कुमार का कहना है कि भाजपा में तमाम नेता हैं। उन्हें संविधान के बारे में पता है। संविधान में गणतंत्र ने देश के राष्ट्रपति को प्रथम नागरिक का अधिकार दिया है। संसद भवन की परिकल्पना लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति पर पूर्ण होती है। फिर हमें कोई बताए कि देश की आजादी के 75 साल बाद होने वाले संसद भवन के उद्घाटन में उपराष्ट्रपति को क्या न्यौता नहीं दिया गया? राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू इसका उद्घाटन क्यों नहीं कर रही हैं।
संसद भवन के उद्घाटन पर राहुल गांधी क्यों चुप हो गए हैं?
यह भी एक अंदर की खबर है। यह कर्नाटक विधानसभा चुनाव की समीक्षा के बाद कांग्रेस के रणनीतिक रूप से बदलने का संकेत है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने करीब एक सप्ताह पहले संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाया था। 26 मई को उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के 9 साल पूरा होने पर 9 सवाल पूछे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी पर कोई निजी हमला नहीं बोला। कांग्रेस के अंदरखाने से मिल रही जानकारी के मुताबिक अब राहुल गांधी अपनी नीतियों में खुद बदलाव ला रहे हैं। वह बयान देकर भाजपा की हमले की ताक में बैठी टीम को हमलावर होने का मौका नहीं देंगे। कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने तय किया है कि प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को वह विक्टिम कार्ड खेलने का अवसर कम से कम देगी। बताते हैं कर्नाटक विधानसभा चुनाव की प्रयोगशाला में इस नीति का बाकायदा परीक्षण भी हो चुका है।
चिदंबरम बोले- इधर-उधर की बात के बजाय सरकार जवाब दे
पूर्व केंद्रीय पी. चिदंबरम ने अमर उजाला के सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि संसद भवन के उद्घाटन से लेकर सेंगोल के प्रकरण पर उनकी पार्टी ने सवाल उठाया है। वह कांग्रेस के सवाल और पक्ष से सहमत हैं। यही उनका मत है। चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस पार्टी के द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देना चाहिए। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि देश के गणतंत्र के प्रमुख (राष्ट्रपति) से संसद के नए भवन का उद्घाटन क्यों नहीं कराया जा रहा है।