उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना के बाद से केंद्र सरकार भी लगातार इस मामले में राज्य सरकार के साथ संपर्क में है। रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने जोशीमठ को लेकर एक बेहद ही बैठक की। इस बैठक में जमीन धंसने की घटने से उपजे संकट और इससे निपटने के उपाय समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में मौजूद अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियां, विशेषज्ञ लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार करने में उत्तराखंड सरकार की सहायता कर रहे हैं। जोशीमठ में एनडीआरएफ की एक, एसडीआरएफ की चार टीम तैनात की गई हैं। इसके अलावा सीमा प्रबंधन सचिव, एनडीएमए सदस्य स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे।
इस उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने कैबिनेट सचिव और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्यों के साथ जोशीमठ के हालात को लेकर एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक में जोशीमठ के जिला पदाधिकारी और उत्तराखंड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए शामिल हुए।
बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ में जमीन धंसने को लेकर बातचीत की। पीएम ने मुख्यमंत्री को इस घटना के मद्देनजर राज्य को केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। उत्तराखंड के सीएम धामी ने बताया कि पीएम मोदी ने मुझसे टेलीफोन पर बातचीत कर जोशीमठ (Joshimath) की स्थिति और लोगों के पुनर्वास व सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा।
सीएम धामी ने बताया कि जोशीमठ की स्थिति का विश्लेषण किया जा रहा है। जोशीमठ में हालात काफी खराब हैं। यहां कई घरों, सरकारी कार्यालयों, स्कूलों में दरारें पड़ गई हैं। कुछ दरारें हर दिन गहरी भी हो रही हैं। लोग यहां भय की वजह से पलायन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद मौजूदा हालात का जायजा लेते भी नजर आए।
जोशीमठ भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित
जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है तथा दरकते शहर के क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने हिमालयी शहर में चार-पांच स्थानों पर राहत केंद्र स्थापित किए हैं तथा कम से कम 90 और परिवारों को निकाला जाना है।
इस बीच, चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना नुकसान का आकलन करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में घर-घर गए और दरार वाले मकानों में रह रहे लोगों से राहत केंद्रों में जाने की अपील की। कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जोशीमठ को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किया गया है और प्रभावित घरों में रह रहे 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि नुकसान के स्तर को देखते हुए कम से कम 90 और परिवारों को जल्द से जल्द निकालना होगा। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं। उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण चल रहा है और प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है।
कुमार ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र और उन घरों जिनमें पहले दरारें पड़ गई थीं तथा जिनमें हाल में दरारें पड़ी हैं, की वजह से एक बड़ी चापाकार आकृति बन गई है जो 1.5 किलोमीटर के दायरे में फैली हो सकती है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में चार-पांच सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी राहत केंद्र बनाए गए हैं। कुमार ने कहा कि कुछ और इमारतों, जिनमें कुछ होटल, एक गुरुद्वारा और दो इंटर कॉलेज शामिल हैं, को अस्थायी आश्रयों के रूप में इस्तेमाल करने के लिए अधिगृहीत किया गया है, जिनमें लगभग 1,500 लोग रह सकते हैं।
जोशीमठ क्षेत्र का अध्ययन करने का अनुरोध
उत्तराखंड सरकार ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) और देहरादून स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) से सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से जोशीमठ क्षेत्र का अध्ययन करने और फोटो के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है। इस बीच, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को पुनर्वास के लिए जोशीमठ में कोटि फार्म, पादप संस्थान एवं बागवानी विभाग की जमीन तथा पीपलकोटि के सेमालडाला क्षेत्र की उपयुक्तता का परीक्षण करने को भी कहा गया है। जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों के दौरे से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लौटकर आने के बाद ये अनुरोध किये गये हैं। धामी ने शनिवार रात को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।
इसके अलावा, आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, रुड़की स्थित राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की स्थित ही वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने जोशीमठ क्षेत्र का भी विस्तृत सर्वेक्षण एवं अध्ययन किया है तथा वे शीघ्र ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
CM ने अधिकारियों को दिये अहम आदेश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से राहत अभियान तेजी से पूरा करने के लिए नियमों में ढील देने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य तेज करने के लिए जोशीमठ में आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यों को ही मंजूरी देने के वास्ते एक उच्च-स्तरीय समिति बनायी जाए। धामी ने चमोली जिले के जिलाधिकारी को 11 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी मंजूर की है। इस बात के भी निर्देश दिये गये हैं कि जमीन धंसने से प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य के साथ विकास कार्यों की निगरानी के लिए प्रदेश एवं स्थानीय स्तर पर उच्च-स्तरीय समन्वय समिति बनायी जाए।
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