हिंदी सिनेमा में आम इंसानों से दिखने वाले कलाकारों की सूची में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नंबर अगली कतार में शुमार है। इन दिनों अपने पारिवारिक विवाद को लेकर चर्चा में रहे नवाज फिलहाल इस मसले पर कुछ भी कहने से मना करते हैं। हालांकि उनकी बातों में उनका ये दर्द भी छलक ही आता है। ‘अमर उजाला’ से इस खास मुलाकात में उन्होंने सलमान खान से लेकर शाहरुख खान तक काम करने के अपने अनुभव, अनुराग कश्यप के अपने ऊपर किए एहसानों के अलावा अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में भी खुलकर बात की है। तो आइए जानते हैं, कंगना रणौत को हिंदी सिनेमा का बेहतरीन निर्माता मानने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कुछ चुभते सवालों के किस तरह दिए संजीदा जवाब…
‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में आपको निर्देशित कर चुके कुषाण नंदी ने जब आपको ‘जोगीरा सा रा रा’ की कहानी सुनाई तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या रही?
‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ एक एक्शन थ्रिलर फिल्म थी और ‘जोगीरा सा रा रा’ एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। मैंने इस फिल्म की कहानी पढ़ी तो इसमें कुछ किरदार मुझे ऐसे लगे जो जुगाड़ से काम करते हैं। आज के युवाओं में जुगाड़ शब्द बहुत प्रचलित है। हमारे यहां के नवयुवक जो काम जुगाड़ से कर देते है, वैसा काम पूरे विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। हमारे अंदर खुद को बचाए रखने की हर तरह की कूवत है। कोई भी काम करने के लिए हमारे पास एक हजार जुगाड़ होते हैं। इस फिल्म में जोगी का जो किरदार निभा रहा हूं, उसकी भी यही खूबी है।
तो आपने कभी इस तरह जुगाड़ से कोई काम किया है?
मुंबई में तो शुरू से ही जुगाड़ ही जुगाड़ किया। संघर्ष के दौरान खाने के लिए पैसे नहीं होते थे तब पता लगाता रहता था कि कौन से एक्टर का काम चल रहा है। उसके घर चले जाते थे और वहां चार -पांच दिन तक रहते थे। इससे पहले कि वह कहता कि हमारे घर से निकल जाओ, दूसरा जुगाड़ ढूंढ लेते थे। फिल्म ‘जोगीरा सा रा रा’ में मेरे किरदार का नाम जोगी है और सा रा रा का मतलब है जुगाड़। यह एक लोकगीत भी है, जब हम लोग स्ट्रीट प्ले करते थे, तब दर्शकों को बुलाने के लिए यह गाना गाते थे।
फिल्म ‘जोगीरा सा रा रा’ में एक गाना है, ‘शादी टॉर्चर है’, इस बात से खुद कितना इत्तेफाक रखते हैं?
मैं तो यही कहता हूं कि शादी अपनी रिस्क पर करनी चाहिए। शादी के बाद आपके साथ अच्छा हो रहा हो या बुरा, इसमें आपने मां बाप को शामिल मत करो। चाहे वो लड़की हो या फिर लड़का, खुद ही जिम्मेदार होता है। शादी, विवाह की परंपरा तो हमारे समाज ने ही बनाई है, यह परंपरा ऊपर से बनकर तो आई नहीं। समाज ने यह अच्छे उद्देश्य के लिए बनाई होगी। पहले हमारे बाप दादा शादी करते थे और जिस तरह से पति पत्नी के बीच एक समर्पण भाव देखने को मिलता था, अब वैसा देखने को मिलता ही नहीं है।
तो आपके परिवार में जो विवाद चल रहा है, उसका असर आपके करियर पर कितना पड़ा?
अभी मैं इस हालत में नहीं हूं कि इसके बारे में कुछ बता सकूं।
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