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Monetary policy announced today less likely to change repo rate

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की गुरुवार यानी आज खत्म होगी। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी के बाद आरबीआई देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना सकता है। इसके तहत रेपो रेट यथावत 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रह सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ब्याज दरों में संभवत: साल 2024 की शुरुआत में कटौती देखने को मिल सकती है।

विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के दिनों में थोक और खुदरा महंगाई दर में गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर भी काफी अच्छी रही है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार होने की उम्मीद बनी हुई है। इन संकेतों ने नीतियों में तुरंत किसी बदलाव की संभावना को कम कर दिया है। इसके अलावा आरबीआई की मानसून की प्रगति पर भी नजर है और अल नीनो खरीफ की फसल पर दुष्प्रभाव डाल सकता है, जिससे कीमतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

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गौरतलब है कि रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह से आठ जून तक होनी है। मौद्रिक नीति की 43वीं बैठक के निर्णयों की घोषणा आठ जून यानी गुरुवार को होगी।

रेपो रेट में अब तक 2.50 फीसदी की वृद्धि

अप्रैल में पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआई ने ब्याज दर वृद्धि को रोक दिया था और रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था। इससे पहले महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मई 2022 के बाद से लगातार वृद्धि करते हुए नीतिगत दर रेपो में 2.50 प्रतिशत वृद्धि की गई थी। एमपीसी की बैठक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के अप्रैल में 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आने के बाद हो रही है।

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