मकर संक्रांति साल का पहला बड़ा त्यौहार होता है, जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। साल में 12 संक्रांति होती हैं परंतु मकर संक्रांति सभी संक्रांतियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। सूर्य देव ही एक ऐसे देव हैं जो कि पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का पोषण करते हैं। पिता-पुत्र के मतभेद दूर करने के लिए सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ हो जाता है। इस साल यह खास संयोग बन रहा है कि जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब शनिदेव भी अपनी मकर राशि में विराजमान होंगे। पिता-पुत्र दोनों एक साथ मकर राशि में विराजमान रहेंगे।
सिविल लाइन स्थित धार्मिक संस्थान विष्णु लोक के ज्योतिषविद् पंडित ललित शर्मा ने बताया कि वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है, लेकिन 2023 में मकर संक्रांति सही तिथि को लेकर थोड़ा संशय है। पंचांगों के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्यदेव 14 जनवरी की रात 8.44 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाना उचित है। मकर संक्रांति का पुण्य काल प्रातः 7.15 से शाम 5.46 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति का महा पुण्य काल प्रातः 7.15 से सुबह 9 बजे तक रहेगा।
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मकर संक्रांति के दिन सुकर्मा और धृति योग योग बन रहे हैं, जो बेहद ही शुभ संयोग माना जा रहा है। 15 जनवरी को सुकर्मा योग सूर्योदय से 11.50 बजे तक रहेगा। इसके बाद पूरे दिन धृति योग रहेगा। इन योगों को दान पुण्य, तीर्थ यात्रा, या किसी शुभ कार्य के लिए अति शुभ माना गया है। इन योगों में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं। इसके अलावा इस दिन गंगा स्नान करना भी बहुत शुभ माना गया है। यदि गंगा में स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। पहले गंगाजल डालना चाहिए उसके बाद पानी भरना चाहिए।
भगवान सूर्य को समर्पित है मकर संक्रांति का दिन
मकर संक्रांति का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है और इस दिन को सूर्य देव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चावल और उड़द की दाल का दान खिचड़ी के रूप में किया जाता है। उड़द की दाल का संबंध शनिदेव से माना जाता है इसका दान करने से शनि के प्रकोप को कम किया जा सकता है। वहीं चावल को अक्षय अनाज माना जाता है। चावल का दान करने से आपको अक्षय फल की प्राप्ति होगी। मकर संक्रांति पर किया गया दान फल के रूप में 100 गुना वापस होकर प्राप्त होता है। इस दिन तिल का भी विशेष महत्व होता है। तिल का दान करने से शनि का दोष दूर होता है। घी का दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। कंबल का दान करने से राहु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। गुड़ का दान करने से शनि सूर्य और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए:
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात्।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।
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