Joshimath Sinking: जोशीमठ में मुसीबत के बीच विशेषज्ञों की टीम सर्वे में जुटी हुई है। एक्सपर्ट्स की टीम ने सर्वे के आधार पर जोशीमठ को बचाने के लिए कई शॉर्ट टर्म और लांग टर्म उपायों का सुझाव भी दिया है। इसके तहत जोशीमठ की वहन क्षमता के बारे में एक स्टडी की बात कही गई है। वहीं, इलाके का विस्तृत जियोटेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के लिए भी कहा गया है। फिलहाल गुरुवार से ही विशेषज्ञों की एक टीम जोशीमठ का सर्वे कर रही है। इसमें होने वाले नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। इसी के आधार पर सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
रियल टाइम मॉनीटरिंग
इस सर्वे टीम में गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार, डिजास्टर मैनेजमेंट सेक्रेट्री रंजीत कुमार सिन्हा, डिजास्टर मैनेजमेंट एग्जीक्यूटिव अफसर पीयूष रौतेला, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहितास मिश्रा, लैंडस्लाइड विशेषज्ञ वैज्ञानिक शांतनू और आईआईटी रुड़की के डॉक्टर बीके माहेश्वरी शामिल हैं। रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि सर्वे के आधार पर कई सुझाव दिए गए थे। इसके तहत बेहतरीन संस्थानों से यहां का सर्वे कराने के लिए कहा गया है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि जोशीमठ में यह समस्या पैदा क्यों हो रही है। उन्होंने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी से जोशीमठ में वॉटर सीपेज और इसके स्रोत का पता लगाने के लिए कहा गया है। सिन्हा के मुताबिक आईआईटी रुड़की द्वारा एक टेक्निकल स्टडी भी की जाएगी, जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि जोशीमठ कस्बा कितना भार सह सकता है। इसके अलावा सेस्मिक एक्टिविटीज की जानकारी के लिए रियल टाइम मॉनीटरिंग भी होगी।
निर्माण पर रोक की थी ताकीद
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के कलाचंद सेन ने कहा कि जोशीमठ ऐसी जमीन पर बसा है, जो भौगोलिक रूप से टूटन वाली है। ऐसे में वहां पर विकास और निर्माण कार्य से जुड़ी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें जोशीमठ के डूबने के बारे में एक विस्तृत अध्ययन करना चाहिए। इसके अलावा जोशीमठ कस्बे की सेस्मिक माइक्रोजोनेशन स्टडी भी होनी चाहिए। कलाचंद सेन के मुताबिक यहां पर सही ढंग से ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम होना चाहिए, ताकि पानी सतह के अंदर न समाने पाए। उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला के मुताबिक पिछले साल अगस्त में अथॉरिटी ने जो स्टडी की थी, उसके सुझाव सरकार को भेज दी गई थीं।
वेल प्लांड ड्रेनेज सिस्टम का था सुझाव
इसके मुताबिक पूरे कस्बे के सभी घरों और आसपास के इलाकों में तत्काल वेल प्लांट ड्रेनेज सिस्टम का सुझाव दिया गया था। अन्य सुझावों की बात करें तो विकास से जुड़ी सभी गतिविधियों की निगरानी और किसी भी तरह के अतिक्रमण से बचने की बात भी कही गई थी। यह सलाह खासतौर पर ड्रेनेज चैनल को लेकर दी गई थी। कस्बे के चारों तरफ के स्लोप्स की विधिवत निगरानी का सुझाव भी इसमें दिया गया था। इसके अलावा खुली सतह पर कुटी हुई मिट्टी की परत डालने की बात भी कही गई थी। सबसे अहम सुझाव यहां के नालों को लेकर दिया गया था। इसके तहत रविग्राम, नौ गंगा, कामद-सेमा, तहसील चुनार और कामेट मरवारी के नालों को ड्रेनेज सिस्टम में लाने के लिए कहा गया था।
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