
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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केंद्र सरकार ने देश में गर्भनाल रक्त बैंक को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, जिनके जरिये गर्भनाल रक्त का गलत तरीके से प्रचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। देश में करीब 10 से ज्यादा निजी बैंक सक्रिय हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिशा-निर्देशों की ड्राफ्ट कॉपी पर आपत्ति सुझाव मांगे हैं। आईसीएमआर का कहना है कि काफी समय से गर्भनाल रक्त और इसके प्रचार पर शिकायतें मिल रहीं थीं। मंत्रियों की बैठक में सरकार ने दिशा-निर्देश लागू करने का निर्णय लिया। साथ ही इन्हें सीडीएससीओ के अधीन लाया जाएगा।
इस तरह फैला रहे भ्रम
कई बैंक गर्भनाल रक्त को ‘जीवन में एक बार मिलने वाले अवसर’ के रूप में पेश कर रहे हैं। माताओं को गर्भनाल स्टोर करने का विकल्प देकर भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचने की सलाह तक दे रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।
मामले 2012 से 2020 के बीच
दुनिया में पहली बार पेरिस में सफल गर्भनाल रक्त स्टेम सेल प्रत्यारोपण 1988 में किया गया। इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री डाटा से पता चलता है कि भारत में 2012 से 2020 के बीच केवल 60 असंबंधित गर्भनाल रक्त प्रत्यारोपण हुए हैं।
दिशा-निर्देशों में इन्हें किया गया शामिल
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नए दिशा-निर्देशों के तहत गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच से लेकर प्रसूति के बाद गर्भनाल एवं रक्त को किस तरह सुरक्षित निकालना है और कैसे उसे बैंक तक पहुंचाना है। किन मामलों में ऐसा किया जाना मां-बच्चे के लिए जोखिम भरा हो सकता है, इसके बारे में भी वैज्ञानिक तथ्यों के साथ जानकारी है। कोई भी बैंक गर्भनाल रक्त को लेकर गलत दावे नहीं कर सकता और न विज्ञापन जारी कर सकता है। प्रत्येक जिले में औषधि नियंत्रण अधिकारी को अधिकार होगा कि वह इनके खिलाफ कार्रवाई कर सके।
आगे क्या होगा
-व्यापार के लिए गर्भनाल रक्त का प्रचार नहीं किया जा सकेगा।
-वैज्ञानिक तथ्यों से अलग किसी भी तरह का दावा करने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
-कोई भी व्यक्ति या परिवार इसकी शिकायत सीधे जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी या फिर आईसीएमआर को कर सकेगा।
-सभी नियमों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 में शामिल किया है, ताकि कानूनी तौर पर नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान हो सके।
यह है गर्भनाल रक्त :
गर्भ में भ्रूण विकास से पहले स्टेम सेल्स का जन्म होता है। इसके बाद शिशु की अन्य कोशिकाएं और अंग विकसित होते हैं। जन्म के बाद मां से एक गर्भनाल ट्यूब के जरिये शिशु जुड़ा होता है। गर्भनाल और प्लेसेंटा को अक्सर बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मेडिकल वेस्ट के रूप में हटा दिया जाता है, लेकिन गर्भनाल के भीतर का रक्त, हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल्स से भरपूर होता है, जो रक्त-उत्पादक कोशिकाएं होती हैं।
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