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पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में शरण लेने वाले जम्मू-कश्मीर के सैकड़ों आतंकवादियों पर अपनी संपत्ति खोने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन्हें “घोषित अपराधी” बताता हुए उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने गुरुवार को कहा, “देश के गद्दार… जिन लोगों ने (भारत में) आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के बाद पाकिस्तान में शरण ली है, वे अब वहां से आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। इन उग्रवादियों के बारे में डेटा तैयार है।” पुलिस प्रमुख ने कहा कि डोडा जिले में इस तरह की कार्रवाई पहले ही शुरू हो चुकी है। वहां पीओके में शरण लेने वाले 16 स्थानीय लोगों को “अपराधी” घोषित किया गया है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी ने कहा, “कुछ दिन पहले डोडा रेंज में ऐसे गद्दारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी। उनकी संपत्ति कुर्क कर ली गई है और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।” जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया शाखा ने पहले ही 4,200 से अधिक ऐसे लोगों की सूची तैयार कर ली है, जिनमें से अधिकांश 1990 से पीओके में रह रहे हैं। सूत्रों ने कहा है कि उनकी संपत्तियों का विवरण पंजीकरण और राजस्व महानिरीक्षक के साथ साझा किया गया है। इसका मतलब यह है कि “घोषित अपराधी” के रूप में नामित किसी भी व्यक्ति की कोई भी संपत्ति बेची या हस्तांतरित नहीं की जा सकती है।
इसके अलावा, पुलिस जानबूझकर आतंकवादियों को शरण देने के आरोपियों की संपत्ति भी कुर्क कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि हालांकि इस प्रक्रिया में उन निर्दोष लोगों को छोड़ दिया जाता है जिनको आतंकवादियों ने धमकी देकर आश्रय देने के लिए मजबूर किया था। जम्मू-कश्मीर के सोपोर को कभी आतंकवाद का गढ़ माना जाता था। वहां उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को लोगों से इस तरह के आश्रय न देने का आग्रह किया और जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता दोहराई।
एलजी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आप ऐसे तत्वों को संरक्षण या समर्थन नहीं देंगे। बाकी काम पुलिस और सुरक्षा बल करेंगे। उन्हें आश्रय न दें। यह आतंकवाद के कारण है कि जम्मू-कश्मीर में लोग दशकों से डर के साए में जी रहे हैं।” 1990 में हजारों युवा हथियार ट्रेनिंग के लिए नियंत्रण रेखा पार कर पीओके में चले गए थे। ज्यादातर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फिर से तैयार हो गए। पिछले तीन दशकों में इस क्षेत्र में मुठभेड़ों के दौरान सुरक्षा बलों ने 23,000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है।
2010 में, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पीओके से लौटने के इच्छुक लोगों के लिए “आत्मसमर्पण और पुनर्वास” नीति की घोषणा की थी। लगभग 300 लोग अपने परिवारों के साथ वापस आ गए लेकिन माना जाता है कि 4,000 से अधिक लोग अभी भी शिविरों में हैं। मुठभेड़ों के अलावा, सुरक्षा एजेंसियां आतंक-वित्तपोषण गतिविधियों और उनके समर्थन ठिकानों को निशाना बना रही हैं।
पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के कमांडरों सहित आठ आतंकवादियों के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) लगाते हुए आरोप पत्र दाखिल किया था। एक अधिकारी ने बताया कि ये आतंकवादी वर्तमान में डोडा जिले और जम्मू के अन्य हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से या फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आतंकी मॉड्यूल चला रहे हैं। डोडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अब्दुल कयूम ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से करीब 119 आतंकवादी यहां आतंकी गतिविधियों की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘‘कमांडरों सहित आठ प्रमुख आतंकवादियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। जांच के बाद हमने डोडा में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है और मुकदमा जल्द शुरू होगा।’’
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