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दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) और दिल्ली सरकार के बीच सियासी टकराव का एक और मोर्चा खुल सकता है। दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार से उपयुक्त सदस्यों की नियुक्ति कर श्रम कल्याण बोर्ड का पुनर्गठन करने या इस मामले पर राय देने के लिए पत्र लिखा है ताकि इस बारे में सिफारिश को राष्ट्रपति के पास भेजा जा सके। सूत्रों ने यह जानकारी दी। वहीं इस मामले में आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
बीते कुछ महीनों के दौरान देखें तो दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG VK Saxena) और अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) के बीच कई विवाद हुए हैं। इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतों पर वीके सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) की ओर से दिए गए जांच के आदेश और फिनलैंड में प्रशिक्षण के लिए शिक्षकों को भेजने का मसला भी शामिल है। यही नहीं सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड पर गतिरोध की वजह से बीते दो वर्षों से श्रम कल्याण निकाय बिना कार्यकारी बोर्ड के काम कर रहा है।
दिल्ली के एलजी कार्यालय (Delhi LG VK Saxena) के सूत्रों ने कहा कि उपराज्यपाल ने बोर्ड के गठन में ऐसे सदस्यों को शामिल करने को कहा है जिनके पास श्रम कल्याण में विशेषज्ञता है या इस संबंध में यदि दिल्ली सरकार के पास कोई अलग विचार हो तो इसकी फाइल उन्हें भेजने को कहा है। एलजी आफिस का कहना है कि आप सरकार ने जून, 2021 से सितंबर, 2022 के बीच 14 महीने से अधिक समय तक दिल्ली श्रम कल्याण बोर्ड (डीएलडब्ल्यूबी) के पुनर्गठन से संबंधित फाइल को अपने पास रखा।
आखिरकार दिल्ली सरकार ने 12 सितंबर, 2022 को उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए नामों के साथ एक प्रस्ताव भेजा। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा प्रस्तावित और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अनुमोदित नाम ऐसे सदस्यों के चयन के मानदंड के अनुसार नहीं थे। एलजी कार्यालय का कहना है कि चूंकि इस बोर्ड के सदस्य मजदूरों के कल्याण के महत्वपूर्ण कार्य करते हैं इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे सदस्यों के पास श्रम कल्याण के क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो।
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