
कानून मंत्री किरेन रिजिजू
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देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर से जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली पर हमला बोला है। ऑल इंडिया रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में रिजिजू ने कहा कि यह प्रणाली जजों को व्यस्त रखती है जिसके कारण उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है। इसके कारण जजों के काम पर भी असर हो रहा है।
उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति से जुड़े सवाल पर कानून मंत्री ने कहा, 1993 के सेकेंड जजेज केस के बाद सबकुछ बदल गया। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम प्रणाली बनाकर जजों की नियुक्ति पूरी तरह अपने हाथ में ले ली जबकि संविधान इस बारे में स्पष्ट था कि जजों को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहिए। उनसे सिर्फ परामर्श ली जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सेकेंड जजेज केस में ही कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 124 में परामर्श शब्द का अर्थ सहमति है और राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट की सहमति के आधार पर जजों की नियुक्ति के लिए बाध्य हैं।
रिजिजू ने कहा कि जजों की नियुक्ति के बारे में असली समस्या न्यायपालिका और अन्य पक्षों के बीच संविधान की भावना समझने में कमी की है। संविधान का स्पष्ट कहना है कि राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से जजों की नियुक्ति करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सांविधानिक प्रावधानों को रद्द कर कॉलेजियम सिस्टम बना दिया। हालांकि रिजिजू ने यह भी कहा कि जब तक कॉलेजियम सिस्टम चलन में है, सरकार इसका पालन करेगी।
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