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CM Nitish calls ACS Education KK Pathak BPSC Chairman Atul Prasad to end fight over teacher recruitment TRE 2023

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बिहार में शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया में सरकारी स्कूल के शिक्षकों और शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के इस्तेमाल को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) और शिक्षा विभाग के बीच चल रही लड़ाई को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बैठक बुलाई थी। सीएम आवास पर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के साथ-साथ बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) केके पाठक को बुलाया गया था। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वो अहं की लड़ाई छोड़कर आपसी तालमेल के साथ काम करें। इस तरह के विवाद से सरकार की किरकिरी होती है और आम लोगों का काम भी खराब होता है।

सीएम आवास पर बुलाई गई बैठक हाल में बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच लेटर की लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण है। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के दखल के बावजूद अतुल प्रसाद और केके पाठक अपने रुख पर अड़े रहे और पत्रचार का स्तर यहां तक पहुंच गया कि शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को लिखा दिया कि स्वायत्तता का मतलब अराजकता नहीं है। बीपीएससी ने शिक्षकों की भर्ती परीक्षा आयोजित की और अब कैंडिडेट के दस्तावेज की जांच चल रही है। इस दस्तावेज की जांच के तौर-तरीके को लेकर ही बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच विवाद हुआ है।

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सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने अतुल प्रसाद और केके पाठक से कहा कि साझा मकसद के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए और उसमें अहं के टकराव की कोई जगह नहीं है। नीतीश ने दोनों से कहा कि इस तरह के विवाद से जनता में गलत संदेश जाता है और सरकार के लिए भी असहज स्थिति पैदा हो जाती है। सूत्रों का कहना है कि सीएम के साथ मीटिंग में अतुल प्रसाद और केके पाठक अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहे और उसे सही ठहराने के पक्ष में तर्क दिए।

बीपीएससी चेयरमैन अतुल प्रसाद और शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक लगातार एक-दूसरे पर कार्यक्षेत्र में दखल देने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जब पाठक के विभाग ने बीपीएससी को कड़ा पत्र लिख दिया कि कैसे बीपीएससी बिना कैंडिडेट के नाम की सिफारिश किए ही दस्तावेजों की जांच करवा रहा है। बीपीएससी ने भी जवाबी पत्र में कहा कि वो शिक्षा विभाग के मातहत नहीं है और आयोग के काम में दखल या दबाव देना असंवैधानिक, गैरजरूरी और अस्वीकार्य है। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कह दिया कि स्वायत्तता का मतलब अराजकता फैलाना नहीं है।

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शिक्षा विभाग ने कहा कि स्वायत्तता का मतलब यह नहीं है कि बीपीएससी एक मूर्खतापूर्ण और विवेकहीन परंपरा शुरू कर दे जिसकी वजह से सरकार को कानूनी मुकदमे झेलने पड़ें। विभाग ने बीपीएससी से कहा कि वो बताए कि इससे पहले उसने कब किसी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट निकाले बिना कैंडिडेट के दस्तावेज की जांच की है। विभाग ने बीपीएससी को याद दिलाया कि नियमों में लिखा है कि भर्ती परीक्षा के विभिन्न पहलुओं पर वो विभाग से विचार-विमर्श करेगा। इस बीपीएससी ने कहा कि उसे आश्चर्य है कि विभाग बिना कागजात की जांच किए उससे कैंडिडेट के नाम की सिफारिश करने की उम्मीद रखता है। 

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की तरफ से सभी डीएम को यह निर्देश देने के बाद भी विवाद थमा नहीं कि दस्तावेजों की जांच में शिक्षक या शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं लगाए जाएंगे। मुख्य सचिव ने सभी डीएम से कहा था कि इस समय शिक्षा विभाग स्कूलों की व्यवस्था मजबूत करने के लिए अभियान चला रहा है और इसकी डेली निगरानी हो रही है। ऐसे में टीचर और विभाग के दूसरे अधिकारी को शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया से अलग रखा जाए।

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इसके बावजूद केके पाठक और अतुल प्रसाद के विभाग और आयोग का टकराव थम नहीं रहा है। नीतीश कुमार के अब तक के कार्यकाल में यह पहली बार है कि इतने सीनियर लेवल के अफसर सार्वजनिक तौर पर भिड़ गए हैं। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने केके पाठक और अतुल प्रसाद को स्पष्ट रूप से कह दिया है कि विवाद खत्म करके मिलकर काम करें। देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भी बीपीएससी और शिक्षा विभाग का झगड़ा खत्म होता है या नहीं।

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