नालंदा खुला विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है। कार्यक्रम के दौरान रामचरितमानस के कई दोहों को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला है। इससे समाज में विसंगतियां पैदा होती हैं। रामचरितमानस समाज को जोड़ने की बजाए तोड़ने वाला ग्रंथ है। यह दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को न सिर्फ पढ़ाई से बल्कि उन्हें हक दिलाने से भी रोकता है। मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में गुरु गोलवलकर के विचार समाज में नफरत फैला रहे हैं। मनुस्मृति को बाबा साहब आंबेडकर ने इसलिए जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों का हक छीनने की बातें करती है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर कार्यक्रम से निकलने के बाद भी मीडिया से बातचीत करते हुए अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध सिर्फ मोहब्बत से बनेगा। संघ और नागपुर से जुड़े लोग समाज में नफरत फैलाते हैं।
वहीं रामचरित मानस पर शिक्षा मंत्री के बयान की बीजेपी ने निंदा की है। बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का बयान निंदनीय है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा मंत्री नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोल रहे हैं जहां उन्होंने धार्मिक घृणा पर आधारित ऐसी मूर्खतापूर्ण राय पेश की। मूल रूप से राजद मुस्लिमों को वोटबैंक के की राजनीति कर रही है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुष्टिकरण के लिए और अपने धार्मिक वोट बैंक को खुश करने के लिए वे इतने निम्न स्तर पर उतरकर हिंदू धार्मिक भावना के खिलाफ बयानबाजी का सहारा ले सकते हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयान पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और इस देश के हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए। राजद के नेताओं को लगता है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण के साथ- साथ हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों को गाली देकर वे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति को बेहतर तरीके से खेल सकते हैं?
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