
मोहन भागवत
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राष्ट्रपति भवन के आमंत्रण पत्र पर भारत लिखे होने के कारण यह शब्द आज पूरा दिन सुर्खियों में रहा। इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया भार में परिवार व्यवस्था खत्म हो रही है। लेकिन भारत इस संकट से बच गया, क्योंकि इसकी नींव सच्चाई है।
मोहन भागवत नागपुर में वरिष्ठ नागरिकों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सत्य ही हमारी नींव है। हमारी संस्कृति की जड़ें सत्य पर आधारित हैं लेकिन अब हमारी संस्कृति को उखाड़ने और उसे नष्ट करने की कोशिश हो रही है। मोहन भागवत ने स्वार्थ से सांसारिक सुखों की प्राप्ति को सांस्कृतिक मार्क्सवाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थ के कारण सांसारिक सुखों को पूरा करते हैं और इसे सही ठहराते हैं। सांसारिक सुखों के प्रति यह झुकाव हद पार कर चुका है। इसे ही आज सांस्कृतिक मार्क्सवाद कहा जाता है।
लोग अच्छे दर्शन और विचारधाराओं को नष्ट करना चाहते हैं
मोहन भागवत ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि स्वार्थ के लिए सांसारिक सुखों की प्राप्ति करने वाले लोग सांस्कृतिक मार्क्सवाद को अच्छा नाम दे देते हैं और वे ऐसी ही अनैतिकता का समर्थन करते हैं। अराजकता से उन्हें मदद मिलती है। वे अपना वर्चस्व स्थापित कर सकते हैं। ऐसे लोग अच्छे दर्शन और विचारधाराओं को नष्ट करना चाहते हैं। यह संकट हमारे देश-दुनिया के बाकी हिस्सों में भी व्याप्त है, जिस वजह से परिवार प्रणाली का पतन हो रहा है। भारत जीवित रहने में सक्षम है, क्योंकि इसका आधार ही सत्य है। हमारी संस्कृति की जड़ें दृढ़ हैं क्योंकि यह सत्य पर आधारित है। भागवत ने मराठी भाषा में कहा कि हमारी आसमानी और सुल्तानी संस्कृति को उखाड़ने के लिए कई प्रयास किए गए।
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