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Agnipath Scheme:प्रचंड सरकार के फैसले पर भारत की नजर, अभी तक रुख नहीं आया सामने – Agneepath Scheme: India’s Eye On Nepal New Pm Prachanda Decision

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पुष्पकमल दहल प्रचंड

पुष्पकमल दहल प्रचंड
– फोटो : सोशल मीडिया

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नेपाल में नई सरकार के गठन की शुरू हुई कवायद के बाद भारत की निगाहें दो अहम फैसलों पर टिकी हैं। पहली नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पहली आधिकारिक यात्रा और दूसरी सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना। हालांकि, प्रचंड ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में अपनी आधिकारिक यात्रा की शुरुआत भारत से करने की बात कही है, मगर अग्निपथ योजना पर नई सरकार का रुख सामने नहीं आया है।

भारत नेपाल की नई सरकार के रुख के प्रति आशंकित
दरअसल, चुनाव बाद पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली और प्रचंड के हाथ मिलाने के बाद से भारत नेपाल की नई सरकार के रुख के प्रति आशंकित है। पूर्व में ओली और प्रचंड की सरकार भारत पर चीन को तरजीह देती आई है। पहली बार नेपाल का पीएम बनने के बाद प्रचंड ने अपनी आधिकारिक यात्रा की शुरुआत चीन से की थी। इस बार भी प्रचंड ने भारत से यात्रा शुरू करने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। ऐसे में भारत प्रचंड  की आधिकारिक यात्रा और अग्निपथ योजना पर फैसले के जरिये नई सरकार का रुख टटोलना चाहती है।

जल्द निर्णय चाहता है भारत
बीते साल अग्निपथ योजना की घोषणा का विरोध भारत के कई हिस्सों के साथ नेपाल में भी देखा गया। आलोचना से बचने के लिए तत्कालीन शेर बहादुर देउबा सरकार ने अगस्त महीने में इस पर फैसला करने की जिम्मेदारी नई सरकार पर डाल दी। अब भारत चाहता है कि नेपाल इस संबंध में जल्द निर्णय ले, जिससे जनवरी महीने में ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर मार्च महीने से प्रशिक्षण की शुरुआत कर दी जाए। हालांकि, नई सरकार की प्रक्रिया जारी रहने के कारण नेपाल से किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला है।

नेपाल से हर साल 1200 गोरखाओं की भर्ती
नेपाल के विरोध के बीच गोरखा भर्ती मामले में अग्निपथ योजना को लागू नहीं करने पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है। सरकारी सूत्र ने कहा कि गोरखा भारतीय सेना का अहम अंग है। नेपाल से हर साल करीब 1200 गोरखाओं की भर्ती होती है। ऐसे में इस भर्ती को अग्निपथ योजना से दूर रखा जा सकता है। कई सैन्य विशेषज्ञों ने भी इसी आशय की सलाह सरकार को दी है। हालांकि इस पर संभवत: अंतिम फैसला तब होगा जब प्रचंड आधिकारिक दौरे पर भारत आएंगे। वर्तमान में  भारतीय सेना में 40 हजार गोरखा जवान हैं, इनमें से 24 हजार नेपाल और शेष उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के हैं।

विस्तार

नेपाल में नई सरकार के गठन की शुरू हुई कवायद के बाद भारत की निगाहें दो अहम फैसलों पर टिकी हैं। पहली नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पहली आधिकारिक यात्रा और दूसरी सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना। हालांकि, प्रचंड ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में अपनी आधिकारिक यात्रा की शुरुआत भारत से करने की बात कही है, मगर अग्निपथ योजना पर नई सरकार का रुख सामने नहीं आया है।

भारत नेपाल की नई सरकार के रुख के प्रति आशंकित

दरअसल, चुनाव बाद पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली और प्रचंड के हाथ मिलाने के बाद से भारत नेपाल की नई सरकार के रुख के प्रति आशंकित है। पूर्व में ओली और प्रचंड की सरकार भारत पर चीन को तरजीह देती आई है। पहली बार नेपाल का पीएम बनने के बाद प्रचंड ने अपनी आधिकारिक यात्रा की शुरुआत चीन से की थी। इस बार भी प्रचंड ने भारत से यात्रा शुरू करने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। ऐसे में भारत प्रचंड  की आधिकारिक यात्रा और अग्निपथ योजना पर फैसले के जरिये नई सरकार का रुख टटोलना चाहती है।

जल्द निर्णय चाहता है भारत

बीते साल अग्निपथ योजना की घोषणा का विरोध भारत के कई हिस्सों के साथ नेपाल में भी देखा गया। आलोचना से बचने के लिए तत्कालीन शेर बहादुर देउबा सरकार ने अगस्त महीने में इस पर फैसला करने की जिम्मेदारी नई सरकार पर डाल दी। अब भारत चाहता है कि नेपाल इस संबंध में जल्द निर्णय ले, जिससे जनवरी महीने में ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर मार्च महीने से प्रशिक्षण की शुरुआत कर दी जाए। हालांकि, नई सरकार की प्रक्रिया जारी रहने के कारण नेपाल से किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला है।

नेपाल से हर साल 1200 गोरखाओं की भर्ती

नेपाल के विरोध के बीच गोरखा भर्ती मामले में अग्निपथ योजना को लागू नहीं करने पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है। सरकारी सूत्र ने कहा कि गोरखा भारतीय सेना का अहम अंग है। नेपाल से हर साल करीब 1200 गोरखाओं की भर्ती होती है। ऐसे में इस भर्ती को अग्निपथ योजना से दूर रखा जा सकता है। कई सैन्य विशेषज्ञों ने भी इसी आशय की सलाह सरकार को दी है। हालांकि इस पर संभवत: अंतिम फैसला तब होगा जब प्रचंड आधिकारिक दौरे पर भारत आएंगे। वर्तमान में  भारतीय सेना में 40 हजार गोरखा जवान हैं, इनमें से 24 हजार नेपाल और शेष उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के हैं।


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