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खुलासा:upa सरकार ने रिलायंस को पहुंचाया अनुचित लाभ, सुधारों में नहीं थी दिलचस्पी – Upa Government Gave Undue Benefits To Reliance, Was Not Interested In Reforms

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पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की किताब ‘एज गुड एज माई वर्ड : ए मेमॉयर’

पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की किताब ‘एज गुड एज माई वर्ड : ए मेमॉयर’
– फोटो : Harper Collins publishers

विस्तार

कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने गैस खरीदने के मामले में रिलायंस को अनुचित लाभ पहुंचाया था। पीएम मनमोहन सिंह के कैबिनेट सचिव रहे केएम चंद्रशेखर की किताब ‘एज गुड एज माई वर्ड : ए मेमॉयर’ में यह खुलासा किया गया है।

किताब में और भी विस्फोटक दावे किए गए हैं। अपनी किताब में चंद्रशेखर लिखते हैं, एक अंतरराष्ट्रीय निविदा के आधार पर मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 2.34 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) पर गैस मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा लेकिन, बाद में आरआईएल ने कीमत में चार गुना वृद्धि की मांग की, जिसे तत्कालीन पेट्रोलियम व गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने खारिज कर दिया।  चंद्रशेखर ने आगे लिखा कि दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के कुछ दिन बाद ही रेड्डी से पेट्रोलियम मंत्रालय छीनकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दे दिया गया। उनकी जगह वीरप्पा मोइली को पेट्रोलियम मंत्रालय सौंपा गया। इसी दौरान गैस की कीमतों का मामला प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख सी रंगराजन को सौंपा गया, साथ ही प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई।

आखिर में बढ़ी हुई कीमत के साथ संदिग्ध फार्मूले को कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दे दी गई। इसमें रुपये की जगह डॉलर आधारित मूल्य निर्धारण भी शामिल था, जो किसी भी तरह से देशहित में नहीं था। वे आगे लिखते हैं कि 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2013 की रंगराजन समिति के फैसले पर आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली की जांच की और अक्तूबर 2014 में एक बेहतर फार्मूले को मंजूरी दी गई। भाजपा नेता अमित मालवीय ने किताब के प्रमुख अंश ट्वीट किए हैं।

रिजर्व बैंक की नीतियों को किया प्रभावित

चंद्रशेखर ने लिखा, 2008 के वित्तीय संकट के दौरान जब बाजार में नकदी की तरलता का संकट पैदा हो गया था, तो सरकार की तरफ से वित्तीय राहत की कुछ घोषणाएं की जानी थीं। इस संबंध में होने वाली प्रेस वार्ता से ठीक पहले उस समय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने उन्हें कहा कि वे रिजर्व बैंक के गवर्नर सुब्बाराव को फोन करें और सरकार की घोषणाओं के समर्थन में पैकेज जारी करें। बाद में उसी  रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में कई बदलाव करते हुए नकदी की तरलता बढ़ाने के उपायों का एलान किया।

केंद्रीय स्तर पर निर्णय क्षमता का अभाव  

यूपीए सरकार को आतंकवाद के मुद्दे पर उदासीन बताते हुए मालवीय ने किताब से एक कथन पेश किया, जिसमें चंद्रशेखर लिखते हैं, देश में आतंकवाद लोगों की खबरों की खुराक में मुख्य भोजन बन गई थीं। लोगों ने आतंक को जीवन का हिस्सा समझकर जीना शुरू कर दिया था और यह माना जाने लगा था कि कभी भी, कहीं भी आतंकी हमला हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा, 26/11 हमले ने देश में आपात स्थिति में उच्चतम स्तर पर निर्णयन की कमजोरी को उजागर कर दिया।

प्रशासनिक सुधारों के प्रति उदासीनता

पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह और उनकी सरकार की प्रशासनिक सुधारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। चंद्रशेखर किताब में लिखते हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2004 में पद संभालते ही द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग गठित किया। हालांकि, आखिर में यह प्रयास कई खामियों के साथ अधूरा ही रह गया। खासतौर पर इसकी वाहक शक्ति सरकार और राजनीति का शीर्ष नेतृत्व नहीं थी।

  • आधार की उपयोगिता पीएम मोदी ने पहचानी:  यूपीए सरकार के दौरान राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जैसे मुद्दों पर सरकार के बीच खींचतान का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा कि नंदन निलेकणी ने जब साफ किया कि आधार को नागरिकता दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, तो उसके बाद आधार कार्ड जारी करने का विचार भी त्याग दिया गया था। हालांकि, बाद मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधार के लाभों को पहचानकर इसे तमाम सरकारी योजनाओं से जोड़ा।


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